94 माह बाद कोर्ट ने आरोपी को सुनाई 2 साल की सजा सॉल्वर से दिलवाई थी परिक्षा, फिजिकल में पकड़ाया था युवक

उज्जैन। आरक्षक संवर्ग कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में साल्वर से परीक्षा दिलाने के बाद फिजिकल टेस्ट के लिये पहुंचे युवक को कम्प्यूटर बायोमेट्रिक डाटा में फिगंर प्रिंट नहीं मिलने पर पकड़ा था। जिसके खिलाफ धारा 419, 120 बी का प्रकरण दर्ज किया था। 94 माह बाद न्यायालय ने आरोपी युवक को 2 साल की सजा सुनाई है।
वर्ष 2016 में  यूएसटी ग्लोबल भोपाल कंपनी द्वारा कम्प्यूटर बायोमेट्रिक डाटा के अनुसार आरक्षक संवर्ग कांस्टेबल भर्ती परीक्षा आयोजित कराई थी। मुरैना स्थित सबलगढ़ के ग्राम मांगरोला से रामअवतार पिता रमहंत रावत सागर में सॉल्वर विमल से रोल नम्बर 212224147 पर परीक्षा दिलवाई थी। जिसमें पास होने पर वह फिजिकल टेस्ट के लिये उज्जैन आया था। उस दौरान अभियार्थी रामअवतार के उंगलियों के निशान लिये गये। अभियार्थी की उंगलियों पर चिपचिपा पदार्थ फेविकिट लगा होना सामने आया था। पूछताछ करने पर वह परीक्षा दिनांक और समय के साथ परीक्षा केन्द्र की जानकारी नहीं दे पाया था। वहीं कम्प्यूटर पर लोड फार्म में हस्ताक्षर का मिलान भी नहीं हो पाया। मामला संदिग्ध होने पर फर्जी अभियार्थी रामअवतार को माधवनगर पुलिस के सुपुर्द किया गया था। जहां जांच के बाद तत्कालीन एसआई विजय सनस ने आरोपित युवक के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर न्यायालय में प्रस्तुत किया था। 94 माह चली सुनवाई के बाद मीडिया सेल प्रभारी कुलदीपसिंह भदौरिया ने बताया कि प्रकरण में प्रभारी उपनिदेशक अभियोन राजेन्द्र कुमार खांडेगर द्वारा अनुसंधान मे विधिक परामर्श और साक्ष्य संकलन में मार्गदर्शन किया। जिसके बाद प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट अर्पित जैन ने फैसला सुनाते हुए आरोपी रामअवतार को धारा 419, 120 बी भादवी के अंतर्गत 2 साल की सजा और 3 हजार के अर्थदंड से दंडित किया। मामले में पैरवी  एडीपीओ हार्दिक देवकर द्वारा की गई।

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